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  ग्वालियर-चंबल में जयवर्धन सिंह की इंट्री
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ग्वालियर-चंबल में जयवर्धन सिंह की इंट्री

 

                            ग्वालियर-चंबल में जयवर्धन सिंह की इंट्री

                         क्या सिंधिया का विकल्प होगे  जयवर्धन 

                   
 भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद से ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस के पास कोई बड़ा नेता नहीं बचा हैं। अब इस खाली जगह को भरने के लिए गुना जिले के राघौगढ़ से विधायक जयवर्धन सिंह पिछले 15 महीने से ग्वालियर-चंबल इलाके में काफी ज्यादा सक्रिय हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस में रहते वो सिर्फ राघौगढ़ तक समिति थे, लेकिन सिंधिया के बीजेपी का दामन थामने के बाद से वो पूरे ग्वालियर-चंबल में सक्रिय है। कोरोना काल के दौरान ज्यवर्धन सिंह ने ऑक्सीजन की किल्लत होने के बाद अपने दम पर ऑक्सीजन की व्यवस्था करवाई तो वहीं बढ़ा प्रभावित इलाकों में पहुंचकर राहत सामग्री बाटी। अब वो 24 और 25 अगस्त को ग्वालियर-चंबल के कई जिलों में दौरा करेंगे जिसमें मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी और अशोकनगर शामिल है।
 राघौगढ़ से विधायक और दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ग्वालियर-चंबल में सक्रिय है जयवर्धन को सियासत में आए करीब 8 साल हो गया है, लेकिन वो इससे पहले ग्वालियर-चंबल में सक्रिय नजर नहीं आते थे वो सिर्फ राघौगढ़ तक ही सिमित थे।
ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस ने 34 में 26 सीटें जीती थी - पिछली बार कांग्रेस की जो सरकार बनी थी उसमें ग्वालियर-चंबल संभाग का बड़ा हाथ था कांग्रेस दोनों संभाग की 34 में 26 सीटें जीती थी सिंधिया जाने के बाद कांग्रेस का फिर से इतनी सीटें जीतना फिलहाल की स्थिति में असंभव नजर आ रहा है लेकिन अभी विधानसभा चुनाव में करीब 2 साल बचे है अगर जयवर्धन सिंह कांग्रेस की सियासी खोई जमीन वापस दिलवा देते हैं तो ये कांग्रेस और ज्यवर्धन के लिए बड़ी कामयाबी होगी।
जयवर्धन के लिए दिग्गी टीम सक्रिय - जयवर्धन जिस इलाके से विधायक हैं वो ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आता है जहां से सिंधिया सांसद रहे हैं। ग्वालियर-चंबल इलाके में बढ़ी संख्या में दिग्विजय सिंह समर्थक फौज भी है जिसका फायदा जयवर्धन सिंह को मिल सकता है लेकिन सिसायी फायदा कितने मिलेगा ये आने वाला समय बताएंगे।

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