
ई-एफआईआर का ट्रायल सफल, अब ई-इंवेस्टिगेशन की तैयारी
रविवार, 19 सितंबर 2021
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ई-एफआईआर का ट्रायल सफल, अब ई-इंवेस्टिगेशन की तैयारी
भोपाल।
मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा लागू ई-एफआईआर के ट्रायल रन को अच्छा प्रतिसाद
मिला है। 12 अगस्त को लागू इस व्यवस्था के तहत 17 सितंबर तक 328 एफआइआर
दर्ज की गईं। दोहराव और ई-एफआईआर की श्रेणी में नहीं आने के कारण 107 आवेदन
रद्द किए गए। अब ई-इंवेस्टिगेशन के लिए मोबाइल एप तैयार किया जा रहा है।
इस प्रक्रिया में जांच से लेकर कोर्ट में चालान पेश करने तक पूरी प्रक्रिया
एप के माध्यम से पूरी की जाएगी।
राज्य
अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक चंचल शेखर ने बताया कि
ई-एफआईआर के माध्यम से वाहन चोरी एवं सामान्य चोरी (एक लाख से कम कीमत) की
रिपोर्ट मोबाइल एप के माध्यम से की जा रही है ट्रायल रन (परीक्षण अवधि) में
कुल ई-एफआइआर में से मोटरसाइकिल चोरी की 69, साइकिल की पांच, मोबाइल की 31
एफआइआर दर्ज की गई है इस दौरान 107 एफआइआर दोहराव, आरोपित का ज्ञात होना,
घटना में मारपीट (बल प्रयोग) और गुम होने की रिपोर्ट के कारण निरस्त की गई।
शेखर
ने बताया कि पूरे देश के आरटीओ की वेबसाइट को एक करना और मोबाइल फोन की
स्थायी व्यवस्था की जानी है। पुलिस महानिदेशक ने 1100 मोबाइल फोन स्वीकृत
किए हैं। यह थानों में स्थायी रूप से रहेंगे ताकि मोबाइल संदेश प्राप्त
करने में हो रही दिक्कत समाप्त हो जाए।
डिजिटल होगी केस डायरी-- शेखर
ने बताया कि ई-इंवेस्टिगेशन (पुलिस विवेचना) के एप में घटनास्थल के
वीडियो, गवाहों के कथन और घटना से संबंधित सभी साक्ष्य पीडीएफ रूप में
सर्वर में सुरक्षित हो जाएंगे। केस डायरी का यही डिजिटल रूप कोर्ट में भी
पेश किया जाएगा। इसके लिए 1800 टैबलेट खरीदे गए हैं, जो जांच अधिकारियों को
दिए जाएंगे। प्रारंभिक रूप में इसे जिला मुख्यालयों पर लागू किया जाएगा।
प्रकरण अधिक संख्या में हुए7 दर्ज-- राष्ट्रीय
अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी रिपोर्ट में प्रदेश में
महिला और अनुसूचित जाति व जनजाति के प्रकरण बढ़ने को लेकर शेखर ने कहा कि
वर्ष 2020 में प्रदेश में आइपीसी के तहत दो लाख 83 हजार 881 अपराध दर्ज किए
गए, जो अन्य राज्यों की तुलना में पांचवें स्थान पर हैं महिला अपराध के
मामले में प्रदेश का देश में दसवां स्थान है। अनुसूचित जाति के मामले में
आरोप पत्र 99.3 तो अनुसूचित जनजाति से संबंधित अपराधों में आरोप पत्र 99.6
फीसद पेश किए गए हैं। इन वर्गों की जनसंख्या प्रदेश में काफी ज्यादा है और
अपराधों को दर्ज करने से इन वर्गों के प्रति अपराध अधिक दिख रहे हैं।
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