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विनोद दुआ का जाना टीवी पत्रकारिता के एक युग का अंत
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विनोद दुआ का जाना टीवी पत्रकारिता के एक युग का अंत

 

                                 विनोद दुआ का जाना टीवी पत्रकारिता के एक युग का अंत

                                             

डेस्क रिपोर्ट।  जाने-माने टीवी ऐंकर विनोद दुआ का जाना टीवी पत्रकारिता के एक युग का अंत है .ख़ास तौर पर हिंदी टीवी पत्रकारिता के लिए, उन्हीं की वज़ह से टीवी पर हिंदी पत्रकारिता पहली बार जगमगाई थी.उस समय जब टीवी की दुनिया दूरदर्शन तक सिमटी थी और टीवी पत्रकारिता नाम के लिए भी नहीं थी, विनोद दुआ धूमकेतु की तरह उभरे थे. इसके बाद वे लगभग साढ़े तीन दशकों तक किसी लाइट टॉवर की तरह मीडिया जगत के बीच जगमगाते रहे

                                 बेटी मल्लिका ने सोशल मीडिया पर की खबर की पुष्टि 

भारतीय पत्रकार विनोद दुआ का सोमवार को तबीयत बिगड़ने के बाद ICU में भर्ती करवाया गया था। जिसके बाद निधन हो गया। उनकी बेटी मल्लिका ने सोशल मीडिया पर इस खबर की पुष्टि की। अपने इंस्टाग्राम पर शेयर की गई एक स्टोरी में मल्लिका ने बताया कि उनके पिता का अंतिम संस्कार दोपहर 12 बजे लोधी श्मशान घाट पर होगा।67 वर्षीय पत्रकार दुआ दूरदर्शन और एनडीटीवी में प्रसारण के साथ हिंदी पत्रकारिता का एक प्रसिद्ध चेहरा थे। सोमवार को अपोलो अस्पताल के आईसीयू में ले जाया गया था। इस साल जून में कोरोना के साथ लंबी लड़ाई के बाद उन्होंने अपनी पत्नी पद्मावती ‘चिन्ना’ दुआ को खो दिया था। उनकी पत्नी पेशे से रेडियोलॉजिस्ट थी।इस साल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दुआ और उनकी पत्नी पॉजिटिव पाए गए थे। उन्हें गुरुग्राम में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से, पत्रकार की स्वास्थ्य स्थिति में गिरावट आ रही थी।

                                  मंत्री के मुंह पर आलोचना करने का साहस

दूरदर्शन पर उनकी शुरुआत ग़ैर समाचार कार्यक्रमों की ऐंकरिंग से हुई थी, मगर बाद में वे समाचार आधारित कार्यक्रमों की दुनिया में दाखिल हुए और छा गए. चुनाव परिणामों के जीवंत विश्लेषण ने उनकी शोहरत को आसमान तक पहुँचा दिया था. प्रणय रॉय के साथ उनकी जोड़ी ने पूरे भारत को सम्मोहित कर लिया था। दरअसल, विनोद दुआ का अपना विशिष्ट अंदाज़ था. इसमें उनका बेलागपन और दुस्साहस शामिल था. जनवाणी कार्यक्रम में वे मंत्रियों से जिस तरह से सवाल पूछते या टिप्पणियाँ करते थे, उसकी कल्पना करना उस ज़माने में एक असंभव सी बात थी। सरकार नियंत्रित दूरदर्शन में कोई ऐंकर किसी शक्तिशाली मंत्री को ये कहे के उनके कामकाज के आधार पर वे दस में से केवल तीन अंक देते हैं तो ये उसके लिए बहुत ही शर्मनाक बात थी. मगर विनोद दुआ में ऐसा करने का साहस था और वे इस बारंबार कर रहे थे. इसीलिए मंत्रियों ने प्रधानमंत्री से इसकी शिकायत करके कार्यक्रम को बंद करने के लिए दबाव भी बनाया था, मगर वे कामयाब नहीं हुए। 

 

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