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अदालत के फैसले की गलत व्याख्या पर  दिया नोटिस
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अदालत के फैसले की गलत व्याख्या पर दिया नोटिस

                           मुख्यमंत्री,प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंत्री भूपेंद्र सिंह को कानूनी नोटिस जारी

                                             
डेस्क रिपोर्ट । मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को लेकर राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा व मंत्री भूपेंद्र सिंह को कानूनी नोटिस जारी किया है। इसमें 10 करोड़ की मानहानि, अन्य सिविल, क्रिमिनल कार्यवाही का नोटिस दिया है। वहीं, कमलनाथ ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि भाजपा सरकार जानबूझकर ओबीसी आरक्षण समाप्त कराना चाहती है और इसीलिए सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा। राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता तन्खा ने अपने वकील शशांक शेखर द्वारा यह नोटिस भेजा है। तन्खा ने ट्वीट कर भेजे गए नोटिस की जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के संबंध में झूठ बोलना, असत्य के आधार पर झूठी मुहिम चलाना जघन्य अपराध है। उन्होंने भाजपा नेताओं को चुनौती दी है कि वे मुझे गलत साबित करें और खुद को सच्चा। तन्खा ने कहा कि देश भाजपा की ट्रोल आर्मी के झूठ से तंग आ चुका है। भाजपा पर आरोप लगाया कि उनका झूठा दुष्प्रचार असहनीय हो जाने के बाद यह नोटिस दिया गया है। 

10 करोड़ की मानहानि का नोटिस - जानकारी के अनुसार तन्खा ने अपने नोटिस में सीएम शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मंत्री भूपेंद्र सिंह को 10 करोड़ की मानहानि का नोटिस भेजा है। उन्हें तीन दिन में स्थिति स्पष्ट करने की समय सीमा दी है और कहा है कि अगर इस दौरान भाजपा नेता सही स्थिति नहीं बताते हैं तो वे उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेंगे। तन्खा के नोटिस को लेकर भाजपा नेता और मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि जो सत्य है उसे उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए। जब नोटिस आएगा तो उसका जवाब दे दिया जाएगा। 

वकीलों ने सरकार का पक्ष नहीं रखा- मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने निवास पर पत्रकारों में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता रोटेशन लागू कराने के संबंध में गए थे, जिसमें सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के वकीलों ने कोई पक्ष नहीं रखा। सरकार का पक्ष रखने की जिम्मेदारी सरकार व आयोग के वकीलों की थी। इससे साफ होता है कि मध्य प्रदेश सरकार जानबूझकर ओबीसी आरक्षण को समाप्त करना चाहती है। इसीलिए पंचायत चुनाव की प्रक्रिया ही इस तरह की बनाई गई कि उसमें कई संवैधानिक कमियां रह जाएं। 

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