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नाहर परिवार ने राज्यपाल का किया सम्मान
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नाहर परिवार ने राज्यपाल का किया सम्मान

        केरल के राज्यपाल का किया सम्मान
जावरा । आज गुलशनाबाद नगरी में केरल के राज्यपाल महामहिम आरीफ मोहम्मद खान का जावरा शहर स्थित रियासत कालीन यार मंजिल मदनलाल शेखर नाहर के निवास पर पधारें जहां पर रियासत कालीन फोटो का अवलोकन किया जिस्की आपनें खुब सरहाना करतें हुए शेखर नाहर परिवार की खुब खुब अनुमोदना की अ भा जैन दिवाकर विचार मंच नईदिल्ली के जिला अध्यक्ष शेखर नाहर इन्द्रा देवी संगीता नाहर परिवार द्वारा बहुमान किया गया। इस मौके पर शाल श्रीफल भेट कर प्रतिक चिन्ह के रुप मै गीता एवं काबा का मोमेंटो  दीया गया । जिस पर उन्होंने  कहा कि  यह सिर्फ भारत मे ही संभव है।  महामहिम राज्यपाल महोदय द्वारा त्रिवेन्द्रम केरल पधारने का निमंत्रण दिया गया। 
 इस मौके पर डाॅ हरिश भल्ला, सुदेश खारीवाल दिवाकर मंच राष्ट्रीय संगठन मंत्री अभय सुराणा, राष्ट्रीय मिडिया प्रभारी संदीप रांका राजकुमार मारवाड़ी, राकेश चोरड़िया, जितेन्द्र रुनवाल, विजय राठोड़ विदित नाहर, मोक्ष मेहता आदी उपस्थित थे ।
              आपका राजनीतिक सफर
इनके राजनीतिक सफर की बात करें तो वो लगभग पचास बरस पहले ही शुरू हो चुका था। अपने छात्र जीवन में ही ये एएमयू यानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सचिव और अध्यक्ष हो चुके थे। जी हां, ये उसी उत्तरप्रदेश से हैं, जिसने कई प्रधानमंत्री और दिग्गज नेताओं से लेकर कई विद्वतजन और महामना देश को दिए हैं। फिर मात्र छब्बीस बरस की उम्र में खान उत्तरप्रदेश विधानसभा के सदस्य भी बन गए। आगे वो अलग-अलग राजनीतिक दलों से चार बार लोकसभा सांसद बने और कई मंत्रालय भी संभाले। खास यह कि हिंदी-उर्दू और अंग्रेजी या इंग्लिश सहित कई भाषाओं के वे जानकार हैं और उन्होंने इस्लामिक धर्मग्रंथों के अलावा हिन्दू धर्मग्रंथों का भी विशद अध्ययन किया है। इस्लाम के तो वे उम्दा स्कॉलर माने जाते हैं। दिल्ली में बीस बरस से कार्यरत, बहुत पढ़ाकू और प्रखर पत्रकार रहे है। खान न केवल बढ़िया वक्ता हैं बल्कि बहुत अच्छे लेखक भी है। इस्लाम को लेकर लिखी उनकी एक किताब तो बेस्ट सेलर रही है। खान ने अपनी चमक और मान्यताओं के प्रति अविचल मिजाज का पहला, सबको चौंकाने वाला, परिचय तब दिया था जब उन्होंने स्वर्गीय राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते देश के बहुचर्चित और ऐतिहासिक शाहबानो प्रकरण में संसद में पहले कमाल तरीके से अपनी बात रखी थी और जब सरकार ने उसका कोई नोटिस न लिया तो राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्होंने कांग्रेस को भी नमस्ते कर दिया।


 

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