
खान अब्दुल गफ्फार खान की पुण्यतिथि पर......
गुरुवार, 20 जनवरी 2022
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खान अब्दुल गफ्फार खान की पुण्यतिथि पर...
डेस्क रिपोर्ट। स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के प्रमुख लोगों में शुमार रहे खान अब्दुल गफ्फार खान के चाहने वाले बहुत थे। एक बार जब असहयोग आंदोलन के चलते अंग्रेजों ने खान अब्दुल गफ्फार खान उर्फ बादशाह खान को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया तो उन्हें छुड़ाने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंच गए। यहां अहिंसक प्रदर्शन कर रहे लोगों का कत्लेआम कर दिया गया। इस घटना से दुनियाभर में तहलका मच गया और अंग्रेजों के जुल्म से पूरी दुनिया वाकिफ हो गई। आज यानी 20 जनवरी को खान अब्दुल गफ्फार खान की पुण्यतिथि है।
एएमयू से की पढ़ाई
एएमयू से पढ़ाई और क्रांतिकारी कदम अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए अपनी जान लुटाने वाले खान अब्दुल गफ्फार खान का जन्म 6 फरवरी 1890 में पाकिस्तान के पश्तून परिवार में हुआ था। अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी से अपनी पढ़ाई करने वाले अब्दुल गफ्फार खान विद्रोही विचारों के व्यक्ति थे। इसीलिए वह पढ़ाई के दौरान से क्रांतिकारी गतिवधियों में शामिल हो गए थे। खान अब्दुल गफ्फार खान ने पश्तून लोगों को अंग्रेजों के जुल्म से बचाने की कसम खा ली।
बादशाह के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान का पश्तूनों के अलावा अन्य मुस्लिम लोगों पर खूब प्रभाव था। वह राजनेता के साथ ही धार्मिक लीडर के तौर पर मजबूत पकड़ रखते थे। अब्दुल गफ्फार खान को चाहने वाले लोग प्यार से बादशाह खान और बाचा खान भी कहा करते थे। पश्तून मूवमेंट के चलते चर्चित हुए खान अब्दुल गफ्फार खान की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई तो वह उनसे बेहद प्रभावित हो गए और अहिंसक आंदोलनों पर तरजीह बढ़ा दी।
अंग्रेजो ने निहत्थे लोगों पर बरसाई गोलियां
पेशावर में अंग्रेजों ने पकड़ा महात्मा गांधी के आंदोलनों में खान अब्दुल गफ्फार खान शामिल होने लगे। नमक आंदोलन में शामिल होने के कारण अब्दुल गफ्फार खान को 23 अप्रैल 1923 में अंग्रेजों ने पेशावर में गिरफ्तार कर लिया। उन्हें छुड़ाने के लिए वहां पहुंचे हजारों लोगों के आंदोलन को देख अंग्रेज डर गए और उन्होंने लोगों को रोकने के लिए फायरिंग का आदेश दे दिया। आदेश मिलते ही अंग्रेज सैनिकों ने निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसा दीं। इस हत्याकांड में करीब 250 लोगों की मौत हो गई।
बादशाह खान को छुड़ाने आए लोगों की हत्या निहत्थे लोगों के हत्याकांड से तहलका मच गया और दुनियाभर में इस घटना के लिए अंग्रेज हुकूमत की जमकर आलोचना हुई। इस हत्याकांड को पेशावर का किस्सा ख्वानी बाजार हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, हत्याकांड से पहले अंग्रेजों के गोली चलाने का आदेश मानन से इनकार करने वाले गढ़वाल राइफल्स के जवानों का कोर्ट मार्शल कर दिया गया और उन्हें कई साल तक जेल में बंद रहना पड़ा।
1987 में भारत रत्न से नवाज़ा
फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर महात्मा गांधी के नमक आंदोलन और पेशावर जेल से छूटने के बाद खान अब्दुल गफ्फार खान को फंटियर गांधी का उपनाम दिया गया। पेशावर की घटना के बाद फंटियर गांधी ने फ्रंट में आकर अहिंसक आंदोलन तेज कर दिए। इसी कड़ी में बादशाह खान ने 1929 में अंग्रेजों से लड़ने के लिए खुदाई खिदमतगार आंदोलन का ऐलान किया। इस आंदोलन में हजारों लोगों की भीड़ ने हिस्सा लिया और अंग्रेजों भारत छोड़ो नारे से उनके कान पका दिए। इस आंदोलन की सफलता से अंग्रेजों तिलमिला उठे।
फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान को 1987 में भारत रत्न दिया गया था। वे पहले गैर-भारतीय थे, जिन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। खान अब्दुल गफ्फार खान का जन्म 6 फरवरी 1890 को हुआ था। उनके पिता ने विरोध के बावजूद उनकी पढ़ाई मिशनरी स्कूल में कराई थी। आगे की पढ़ाई के लिए वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में गए।
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