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डिजिटल करेंसी से भरने वाली हे जनता की जेब ...
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डिजिटल करेंसी से भरने वाली हे जनता की जेब ...

                                                कई देश डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में

                                   

 
डेस्क रिपोर्ट  सरकार अगले वित्त वर्ष में देश में डिजिटल रुपया लॉन्च करने जा रही है। इससे आरबीआई (RBI) को करेंसी मैनेजमेंट कॉस्ट के रूप में काफी बचत हो सकती है। अभी नोटों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने और उन्हें टकसाल में रखने पर काफी खर्च आता है। इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि डिजिटल रुपया आने से इसमें काफी बचत होगी।

बाजार के एक अनुमान के मुताबिक अभी 100 रुपये के प्रत्येक नोट पर चार साल की लाइफ साइकिल के दौरान 15 से 17 रुपये खर्च आता है। इस साइकिल में नए नोट छापना, कर्मशियल बैंक के जरिए उन्हें बांटना और फिर पुराने नोटों को आरबीआई को वापस करना शामिल है। सरकार बड़े नोटों का चलन कम कर रही है और ज्यादा से ज्यादा छोटे नोट छापे जा रहे हैं। इसलिए डिजिटल करेंसी आने से उसे भारी बचत हो सकती है।

सैकड़ों करोड़ की बचत

फिनटेक लेंडर्स इंडस्ट्री की संस्था Fin-Tech Assosiation for Cunsumer Empowerment (FACE) के मेंबर राम रस्तोगी ने कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लीगर टेंडर होगी। इससे करेंसी मैनेजमेंट कॉस्ट की बचत होगी। उन्होंने कहा कि अगर आरबीआई सेंट्रलाइज्ड यूनिट अप्रोच लेता है जहां कस्टमर को डिजिटल रुपया इस्तेमाल करने के लिए अकाउंट खोलना पड़ेगा तो इसमें काफी बचत होगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते अपने बजट भाषण (budget 2022) में कहा था कि आरबीआई जल्दी ही सीबीडीसी जारी करेगा। माना जा रहा है कि अगले वित्त वर्ष में इसे लॉन्च किया जा सकता है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कैश सर्कुलेशन बढ़ने से सेंट्रल बैंक ने करीब 419,000 अतिरिक्त नोट छापे थे।

कई देश डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में

अगर देश में नोटों की छपाई में इजाफा नहीं होता है तो डिजिटल करेंसी से करेंसी मैनेटमेंट कॉस्ट के रूप में सैकड़ों करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। बैंक ऑफ बड़ौदा में चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा कि डिजिटल रुपये से देश में बिटकॉइन ट्रेड को कानूनी मान्यता नहीं मिल जाती है। आप कह सकते हैं कि यह देश की फिएट करेंसी को टेस्ट करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट है। अगर यह बड़े पैमाने पर होता है तो इससे करेंसी मैनेजमेंट कॉस्ट में कमी आएगी।

31 मार्च, 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में कैश इन सर्कुलेशन 28.32 लाख करोड़ रुपये था। सीबीडीसी एक लीगर टेंडर होता है जिसे केंद्रीय बैंक डिजिटल फॉर्म में जारी करता है। इसे फिएट करेंसी के साथ बदला जा सकता है। लॉन्च होने के बाद लोग इसे फिजिकल नोटों में भी बदल सकते हैं। दुनिया के कई देश डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में हैं।


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