
भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में और संशोधन
भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में और संशोधन
जानकारी के अनुसार केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने 20 जुलाई को सभी सचिवों को पत्र लिखकर इस नए नियम के बारे में जानकारी दी है. जो कि पत्र जारी होने के दिन से ही लागू हो चुकी है. लेटर में कहा गया है कि भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में और संशोधन किया गया है. इसके तहत अब ”जहां पर भी झंडा खुले में फहराया जाता है या किसी भी नागरिक के घर पर फहराया जाता है, इसे अब दिन-रात फहराया जा सकेगा
पहेल
के नियम की बात दी जाए तो पहले यह नियम था कि किसी भी मौसम में झंडे को जहां फहराया जाता था, उसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जाना चाहिए. भारतीय ध्वज संहिता, 2002, को पहले 30 दिसंबर, 2021 के आदेश पर संशोधित किया गया था और पॉलिएस्टर या मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज को अनुमति दी गई. अब राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते और हाथ से बुने हुए या मशीन से बने कपास, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशम और खादी बंटिंग से बना होगा. पत्र में कहा गया है कि “तिरंगा को क्षतिग्रस्त हालत में नहीं फहराया जाना चाहिए, उसे सम्मान के साथ और तिरंगा फहराने के सभी नियमों के साथ फहराना चाहिए.
नागरिकों को प्रोत्साहित करने के लिए लिया गया निर्णय -- गृह सचिव ने पत्र में ये भी कहा है कि इस नियम का उद्देश्य नागरिकों को स्वतंत्रता दिवस को लेकर ‘हर घर तिरंगा’ समारोह के हिस्से के रूप में अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्रोत्साहित करना है. बता दें कि अमृत महोत्सव की कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घरों में तिरंगा फहराने का आवाहन किया था. पीएम मोदी ने कहा था कि यह आंदोलन राष्ट्रीय ध्वज के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा करेगा. सरकार को उम्मीद है कि 13 अगस्त को करीब 30 करोड़ घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा।
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