
सिंधिया के गढ़ में 57 साल बाद कांग्रेस की जीत
सिंधिया के गढ़ में 57 साल बाद कांग्रेस की जीत
डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अधिकतर सीटों पर जीत का परचम लहराया है। राजधानी भोपाल, उज्जैन, इंदौर समेत 7 नगर निगम में भाजपा ने मेयर पद पर कब्जा किया है। लेकिन पार्टी को ग्वालियर में सबसे बड़ा जख्म मिला है, जहां 57 साल बाद कांग्रेस को जीत मिली है। यहां बीजेपी की सुमन शर्मा के मुकाबले कांग्रेस उम्मीदवार शोभा सिकरवार ने बड़ी जीत हासिल की है। ग्वालियर से बीजेपी की सुमन शर्मा का मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार शोभा सिकरवार से था। सुमन शर्मा को जिताने के लिए केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एड़ी चोटी की दम लगा दिया था। हालांकि, जनता ने बीजेपी की राजनीति को सिरे से खारिज कर दिया। यहां कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी शोभा सिकरवार ने भाजपा की सुमन शर्मा को 28805 मतों से हराया।
ग्वालियर में बीजेपी की हार और कांग्रेस की जीत के पीछे सबसे अधिक चर्चा सतीश सिकरवार की हो रही है, जिनकी पत्नी शोभा सिकरवार ने जीत हासिल की है। भाजपा में सिंधिया की एंट्री के बाद भगवा पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए सिकरवार ने इससे पहले विधानसभा उपचुनाव में भी अपनी ताकत का अहसास कराया था। तब उन्होंने सिंधिया के बेहद करीबी को मात दी थी। जिले की सबसे बड़ी और चर्चित सीट में शुमार ग्वालियर पूर्व से सतीश सिकरवार विधायक हैं।
कांग्रेस से बगावत के बाद ज्योतारादित्य सिंधिया जब भाजपा कैंप में आए तो उनके साथ कांग्रेस के विधायक मुन्ना लाल गोयल ने भी पाला बदल लिया था। उपचुनाव में भाजपा ने सिंधिया के करीबी मुन्ना को उम्मीदवार बनाया। इससे नाराज होकर भाजपा के पुराने नेता सतीश सिकरवार कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उपचुनाव में सिकरवार ने मुन्ना को 8555 वोटों से मात दी थी। हालांकि, इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनाव में मुन्ना सिकरवार पर भारी पड़ेथे।
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