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मध्यप्रदेश में नए राजनैतिक दल की आहट
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मध्यप्रदेश में नए राजनैतिक दल की आहट

 

                                              मध्यप्रदेश में नए राजनैतिक दल की आहट

                                           

भोपाल सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर चर्चाओं में आने वाले IAS वरदमूर्ति मिश्रा नया राजनीतिक दल बनाने जा रहे हैं। उन्होंने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नया दल बनाने की जानकारी साझा की है। बीते कुछ दिनों पहले ही उन्होंने राज्य सरकार को अपना इस्तीफा भेज दिया था। जोकि करीब डेढ़ महीने ही पहले मंजूर भी कर लिया गया। उन्होंने अपने इस्तीफे का कोई कारण तो नहीं बताया है। वहीं कई कयासों के बीच गुरुवार को उन्होंने खुद अपने मंसूबे जाहिर कर दिए। मीडिया से बात करते हुए वरदमूर्ति मिश्राराज्य की बीजेपी सरकार और सीएम शिवराज सिंह चौहान पर खूब बरसे। उन्होंने कहा कि एमपी में सिर्फ ईवेंट पॉलिटिक्स हो रही है।

एमपी नकली बीजों का हब

मध्यप्रदेश की कृषि पर निर्भरता और किसानों की समस्याओं पर बात करते हुए पूर्व आईएएस में यह कहा कि सरकार ब्यूरोक्रेट्स के विचार सुन ही नहीं रही है। हमारा प्रदेश नकली बीजों का हब बनता जा रहा है। मध्य प्रदेश में कंज्यूमर फोरम में देश में सबसे ज्यादा नकली बीज के मामले दर्ज हैं। फर्टिलाइजर में फ्लाई ऐश और संगमरमर का चूरा मिला रहे हैं। आमजन के असल मुद्दों पर सरकार ध्यान ही नहीं दे रही है। एमपी में सरकारों ने नागरिकों से जुड़े मूल मुद्दों पर ही काम नहीं किया गया है। पूर्व आईएएस ने ये भी कहा कि करीब 5-6 सालों से मन में उथल-पुथल मची हुई थी। 25 साल तक एक दर्जन से ज्यादा जिलों में रहकर लोगों की परेशानियों को समझा, इन समस्याओं को दूर करने के लिए अब पालिटिकल पार्टी बनाउंगा। वरदमूर्ति खासतौर पर राज्य की बीजेपी सरकार और सीएम शिवराज सिंह चौहान पर हमलावर दिखे। मध्यप्रदेश में ईवेंट पॉलिटिक्स होने की बात भी कही। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा की पिछले 20 सालों में लोगों को मूल सुविधाओं से वंचित रखा गया है। वर्तमान सरकार हर मोर्चे पर फेल हैं। एमपी में किसान बेहाल हैं और बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ रही है। पेयजल और बिजली संकट भी है। आमजनों पर ऋण का बोझ है।

कमलनाथ के रह चुके है ओएसडी ...

वरदमूर्ति मिश्रा, खनिज विकास निगम में कार्यकारी निदेशक थे। उनकी 7 साल की नौकरी बची थी। वरदमूर्ति मिश्रा पूर्व में तत्कालीन सीएम कमलनाथ के ओएसडी भी रह चुके हैं। इसके साथ ही छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार का भी पद उन्होंने संभाला हुआ था। हालांकि उनके कार्यकाल विवादित बताया जाता है। वरदमूर्ति मिश्रा सरकार से भी लोहा लेते रहे हैं। वह कई बार सरकारी फैसलों के खिलाफ न्यायालय भी जा चुके हैं। 

 

 


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