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नेताओ के विरोध और समर्थन के बीच नगर की ......???
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नेताओ के विरोध और समर्थन के बीच नगर की ......???

                                      नेताओ के विरोध और समर्थन के बीच नगर की ......???

                                       

डेस्क रिपोर्ट। आखिर जिस बात का डर था वही हुवा जिस तरह से कांग्रेस पार्टी ने सर्वे को नज़र अंदाज़ करते हुवे जावरा में हिम्मत श्रीमाल को उम्मीदवार बनाया, तब ही राजनैतिक जानकारों की आँखे फड़फड़ाना शुरू हो गई थी उन्हें लगने लगा था की इस बार भी पिछले विधानसभा चुनाव की तरह चतुर्थ कोणीय मुकाबले की संभावना बन रही हे, और इसकी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी हे, जिसकी संभावना थी वही हुवा और जैसे ही बीजेपी की लिस्ट में विधायक राजेन्द्र पांडेय का नाम आया पिक्चर साफ हो गई और करनी सेना प्रमुख  जीवनसिंह शेरपुर ने अपने प्लान के अनुसार कार्यकर्त्ता सम्मलेन में दोनों पार्टियों पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुवे निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया, अगर बीजेपी से के.के.सिंह कालूखेड़ा को टिकट मिल जाता तो फिर बीजेपी और कोंग्रस में ही टक्कर की काफी हद तक संभावना थी ।

अब सूत्रों से खबर हे कि बीजेपी में से भी कोई निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में ताल ढोक सकता हे या फिर जिस तरह से आज करनी सेना के कार्यकर्त्ता सम्मलेन में बीजेपी के पूर्व मंडल अध्यक्ष पवन सोनी और उनकी पत्नी रानी सोनी( नपा में नेता प्रतिपक्ष) के साथ साथ ही बीजेपी की प्राथमिक सदसय्ता से इस्तीफा दिया हे, वहीं कुछ कांग्रेस के पूर्व पदाधिकारी ने भी शेरपुर को समर्थन देने की घोषणा की हे, अगर दोनों पार्टियों के असंतुस्टो को लगता हे की शेरपुर मज़बूत रहेंगे तो निश्चित ही यहाँ खुद सामने नहीं आते हुवे जीवनसिंह शेरपुर पर दांव लगा सकते है। जिससे सांप भी मर जाएगा और लाठी भी .....???

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