-->

Featured

Translate

जावरा विधानसभा का दिलचस्प इतिहास......
f

जावरा विधानसभा का दिलचस्प इतिहास......

                                          जावरा विधानसभा का दिलचस्प इतिहास......

                                               

डेस्क रिपोर्ट। जानकारीं के अनुसार 1977 से 1993 तक जावरा विधानसभा सीट पर कभी कांग्रेस को कभी भाजपा को विजय हासिल होती रही। 1998 में महेंद्रसिंह कालूखेड़ा के सामने पुनः पांडेय बंधु का आगमन हुआ और लक्ष्मीनारायण पांडेय के पुत्र राजेंद्र पांडेय भाजपा के उम्मीदवार थे। पांडेय चुनाव हार गए। हालांकि, 2003 के चुनाव में राजेंद्र पांडेय विजयी हो गए और उन्होंने महेंद्र सिंह कालूखेड़ा को पराजित किया। 2008 में फिर कालूखेड़ा विजयी हुए और राजेंद्र पांडेय हार गए इस तरह शह और मात का खेल चलता रहा।

2018 के चुनाव में कांग्रेस के बागी हमीर सिंह राठौर और भाजपा से बागी श्यामबिहारी पटेल चुनाव मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार थे उन्हें क्रमशः 16,593 और 23,672 मत मिले। दोनों बागियों ने अपने दलों के वोट काटे वही भाजपा के श्यामबिहारी पटेल ने राजेंद्र पांडेय की जीत को सीमित कर 511 पर सिमटा दिया। 2013 और 2018 में राजेंद्र पांडेय विजयी हुए। इस बार पुनः पांडेय को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस की ओर से हिम्मत श्रीमाल को उम्मीदवार बनाया गया है। हालांकि श्रीमाल का विरोध हो रहा है। देखना हे की आने वाले समय में क्या एक बार फिर 2018 का इतिहास दोहराया जाएगा या फिर ......?

·   गौरतलब रहे की लगातार दो बार विजयी होने का रिकॉर्ड कांग्रेस के उम्मीदवार का रहा था पर 2008 और 2013 में भाजपा के राजेंद्र पांडेय ने ये मिथक तोड दिया, सबसे बड़ी और और सबसे छोटी विजय का रिकॉर्ड राजेंद्र पांडेय का रहा। 2013 में वे 29,851 मतों से विजयी हुए और 2018 में मात्र 511 मतों से विजय रहे।2018 में 84. 21 प्रतिशत मतदान एक रिकॉर्ड मतदान जावरा में हुआ जो अभी तक का सर्वाधिक मतदान का रिकॉर्ड रहा है।

 

0 Response to "जावरा विधानसभा का दिलचस्प इतिहास......"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article