हाईकोर्ट में धार्मिक शहर वाली दलील खारिज...
दरअसल, प्रदेश सरकार के धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने नौ दिसंबर 2011 को जारी अधिसूचना में मंदसौर में भगवान शिव के पशुपतिनाथ मंदिर के 100 मीटर के दायरे को पवित्र क्षेत्र घोषित किया था। अधिसूचित क्षेत्र में पशु वध को प्रतिबंधित करते हुए अंडा, मांस, मछली और शराब की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई थी।
हुसैन ने सीएमओ के सामने पेश की गई अर्जी में कहा था कि वह मंदसौर में जिस जगह बूचड़खाना खोलना चाहता है, वह पवित्र क्षेत्र से काफी दूर है। उच्च न्यायालय ने कसाई की याचिका पर मामले के तथ्यों को गौर करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने मंदसौर के केवल 100 मीटर के दायरे वाले स्थान को पवित्र क्षेत्र घोषित किया है। इस अधिसूचना के आधार पर बूते पूरे शहर को पवित्र क्षेत्र नहीं माना जा सकता।
अदालत ने कहा कि बूचड़खाना खोलने के लिए जगह तय करने की प्रक्रिया सीएमओ द्वारा पहले ही शुरू की जा चुकी है और इसके लिए प्रदेश सरकार की अनुमति लम्बित है। एकल पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद एक नजीर का हवाला दिया और सीएमओ को निर्देशित किया कि वह बूचड़खाना खोलने के लिए हुसैन को एनओसी जारी करे। उच्च न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को बूचड़खाना खोलने की अनुमति जल और वायु का प्रदूषण रोकने के लिए बनाए गए कायदे-कानूनों के तहत ही दी जा सकेगी।
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